Thursday, April 1, 2010

ज़िन्दगी कही भाग सी गयी है इस भगदर में

हम ज़िन्दगी में हर चीज से भागते हैं, कभी अपनों से कभी सपनो से, कभी सच से कभी झूठ से तो कभी हकीक़त से। भागते ही रहते हैं ...... भागते ही रहते हैं.. भागते ही रहते हैं... बिना रुके, ओफ! ये भागम-भाग..!! ज़िन्दगी कही भाग सी गयी है इस भगदर में।

7 comments:

  1. "ज़िन्दगी कही भाग सी गयी है इस भगदड़ में"
    हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. 90 % we all suffer from Jaldbaji

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  3. ब्लागजगत में आपका स्वागत है!अपने मनपसंद विषयों पर लिखिए और पढ़िए!!!मेरी शुभकामनाये!!

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  4. चलिए शुरुआत तो हुई इस भागदौड़ की

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  5. एक शेर अर्ज है....
    भागदौड़ की जिंदगी वो मशरूफ रहा
    दो पल के लिए रुका तो डरा मिला...

    आप जारी रहिये. शुक्रिया.

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  7. I generally don’t become speechless but now if it comes to comment on your literature, I stand with no word..Only one thing that I would say is “The difficulty of literature is not to write, but to write what you mean”
    You stand here with full majority..God bless you!!

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