Saturday, May 23, 2009

अपन गाम


हमरा बजबैये अपन ओ गाम यौ
मनो नै भाबैये दिल्ली सन टाउन यौ
स्कूलक पछुआर मे पाकरिक गाछ यौ
हमरा सतबैये बहिनक याद यौ
आमक गाछी के बड़का मचान यौ
गाछी मे मिलीजुलि कs पकबैत पकवान यौ,
मोन परैये परोड़क अचार यौ ,
ओझाजीक भोजन मे काकिक सचार यौ,
कहिया हम जेबै अपन ओ गाम यौ ,
मनो नै भाबैये दिल्ली सन टाऊन यौ ....

7 comments:

  1. bhashavaad ke is daud mein boliyon ka zinda rahna bahut zaroori hai,
    iske liye aapko shukria......

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  2. नीक कविता...अहां त हमरा नॉस्टल्जिया में द एलहुं...आब त लोक पाकरिक गाछ..आ ओझाजी के सचार बिसरले जा रहल अछि...आब सुनैछी जे आमो के गाछी में ओहन मचान नहि बनैत अछि...ओ प्रेम आ भावना खत्म भय गेल....

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  3. Dnnyabad ahan ke je hamra san buchchi ke utsahit kelau.
    Ham ta nav lok ke purna baat moon parake chesta kelauhen.
    Dhanyabad
    Anshu Mala
    anshupandey24@gmail.com

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  4. सुंदर भावाभिव्यक्ती,
    गामक सच में याद आबि गेल,
    लिखैत रहू,
    शुभकामना


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  5. अति सुन्दर.
    शहरक बोझिल जीवन में व्यस्त संवेदना के झकझोरय के लेल काफी अछि अहांक पंक्ति....बहुत नीक लागल.

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  6. हमरा बजबैये अपन ओ गाम यौ
    मनो नै भाबैये दिल्ली सन टाउन यौ
    तट पर है तरुवर एकाकी नौका है
    सागर मैं अन्तरिक्ष मैं खग एकाकी तारा है
    अम्बर मैं।भू पर वन वरिधा पर बेरे नभ मैं उडु खग मेला
    नर नारी से भरे जगत मैं मेरा ह्रदय अकेला.
    bahut sundar vichar anshu ji

    ham sab ahi sang chhi ahan akela nai
    jay maithil ------

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