Sunday, September 6, 2009

जिंदगी


जिंदगी उमंग है,
जो मेरे संग है,
इसके जितने रंग है... सब मैं आनंद हैं,
जिंदगी एक ख्वाब है,
ये तो एह्शाश है,
एह्शाश काफी खाश है...जिंदगी मेरे पास है।

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लाचार ज़िन्दगी !!!!!!!!
मेरी ज़िन्दगी बेरंग सी क्यों है,
न खुशी न गम .......
न महफ़िल न रंज
क्यों है मेरी ज़िन्दगी इतनी बेरंग....???!!!
कहने को बहुत बड़ी है दुनिया ....
पर क्या इसमे मेरी खुशियों के लिए कोई ज़गह नही.....??????!!!!
अगर है तो क्यों है इतना तंग?
हाय!!! मेरी ज़िन्दगी कितनी बेरंग......
दोस्त भी हैं कहने को मगर ,
दिल के कोने में छुपा गम,
बयां भी कैसे करें उनसे .......
कही ख़तम ही न हो जाए वो गम जिसके सहारे ज़िन्दगी तो है ।
कहने को खुदा ने ज़िन्दगी दी है जीने केलिए .........
पर मुझे तो जीना पर रहा है ...क्युकी ज़िन्दगी है ।
ये कैसा अत्याचार है ?? ये ज़िन्दगी कितनी लाचार है।!!!
.......










2 comments:

  1. GREAT.......(जिंदगी उमंग है) !!!!
    ये ज़िन्दगी कितना लाचार है।

    SACH ME BAHUT HE ACCAH RACHNA HAI AAP KI....!!!!

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  2. जिंदगी उमंग है,
    जो मेरे संग है,

    bahut khub - jishne likha ,bahut kuchh kaha , dhanywad

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