Thursday, October 1, 2009

ओ प्रेयसी !

ओ प्रेयसी ! .......तुम कितनी सुंदर हो !

किस प्रियतम के दिल की धड़कन हो।?

तेरे नैन कजरारे और चाल हैं मतवारे॥

अधरों में घुले हैं मधुशाला के रस सारे।

तेरी साँसों की लय में सरगम घुली है।

तेरी बोली नहीं ये तो मिश्री कि डली है।

सच! कितना खुश-नसीब है वो प्रियतम !?

जिसकी ये प्रेयसी है।

ओ प्रेयसी ! .......

2 comments: