मोरे अंग-अंग बाजे मधुर बांसुरी तोरी यादों के छैंय्या तले।
धीरे-धीरे पवन नाचो हे मोरा मन,
धीरे धीरे पवन नाचो हे मोरा मन जैसे नदिया में नैय्या चले।
मोरे अंग-अंग बाजे..........................,
आज सपनो की नगरी में खो जाउंगी ,
आज अपने पिया की में हो जाउंगी ।
मेरे हाथन की मेंहदी अगन रूप हे,
मेरे हाथन की ............................,
जैसे सूरज हो शाम ढले।
आ सवारिया में कब से तेरी चाह में ,
नैन बनके बिछी हूँ तेरी राह में,
मेरे मन का दिया जल रहा हे पिया,
मेरे मन का दिया जल रहा हे पिया ॥
बेरी चन्दा जले न जले।
मोरे अंग -अंग बाजे मधुर बांसुरी तोरी यादों के छैंय्या तले॥
धीरे -धीरे पवन नाचो हे मोरा मन जैसे नदिया में नैय्या चले॥