अपन गाम
हमरा बजबैये अपन ओ गाम यौ
मनो नै भाबैये दिल्ली सन टाउन यौ
स्कूलक पछुआर मे पाकरिक गाछ यौ
हमरा सतबैये बहिनक याद यौ
आमक गाछी के बड़का मचान यौ
गाछी मे मिलीजुलि कs पकबैत पकवान यौ,
मोन परैये परोड़क अचार यौ ,
ओझाजीक भोजन मे काकिक सचार यौ,
कहिया हम जेबै अपन ओ गाम यौ ,
मनो नै भाबैये दिल्ली सन टाऊन यौ ....
bhashavaad ke is daud mein boliyon ka zinda rahna bahut zaroori hai,
ReplyDeleteiske liye aapko shukria......
नीक कविता...अहां त हमरा नॉस्टल्जिया में द एलहुं...आब त लोक पाकरिक गाछ..आ ओझाजी के सचार बिसरले जा रहल अछि...आब सुनैछी जे आमो के गाछी में ओहन मचान नहि बनैत अछि...ओ प्रेम आ भावना खत्म भय गेल....
ReplyDeleteDnnyabad ahan ke je hamra san buchchi ke utsahit kelau.
ReplyDeleteHam ta nav lok ke purna baat moon parake chesta kelauhen.
Dhanyabad
Anshu Mala
anshupandey24@gmail.com
सुंदर भावाभिव्यक्ती,
ReplyDeleteगामक सच में याद आबि गेल,
लिखैत रहू,
शुभकामना
Remove Word Verification.
pls. likhait rhoo.
ReplyDeleteअति सुन्दर.
ReplyDeleteशहरक बोझिल जीवन में व्यस्त संवेदना के झकझोरय के लेल काफी अछि अहांक पंक्ति....बहुत नीक लागल.
हमरा बजबैये अपन ओ गाम यौ
ReplyDeleteमनो नै भाबैये दिल्ली सन टाउन यौ
तट पर है तरुवर एकाकी नौका है
सागर मैं अन्तरिक्ष मैं खग एकाकी तारा है
अम्बर मैं।भू पर वन वरिधा पर बेरे नभ मैं उडु खग मेला
नर नारी से भरे जगत मैं मेरा ह्रदय अकेला.
bahut sundar vichar anshu ji
ham sab ahi sang chhi ahan akela nai
jay maithil ------